जिन बेचैनियों को तूने अपने अंदर कहीं सुला रखा है
उन बेचैनियों को फिर से जगाने का वक़्त आ गया है।
अब जो कोई उड़ने से रोके, तो और ज्यादा उड़
इतना उड़ इतना उड़, के जाकर आसमां से जुड़।
बहुत जी ली तूने महफूज़ ज़िंदगी
अब है तेरी बारी कुछ कर दिखाने की।
इस बार ऐसी तरक़ीब लगा, ऐसा कोई दाव चल
के मुश्किल के लिये खुद, खड़ी हो जाये मुश्किल।
अब जो कोई रस्ता रोके, रस्ता नहीं खुद को बदल
अब जो कोई तुझको टोके, मंज़िल नहीं मंज़र बदल।
जिन आँसुओं को तूने अपनी आँखों में बचाये रखा है
उन आँसुओं को शोलों में बदलने का वक़्त आ गया है।
अब जो कोई जीने से रोके, तो और ज्यादा जी
इतना जी इतना जी, के पहले जैसे ज़िंदगी न जी।
बहुत कर ली तूने ग़ैरों की ग़ुलामी
अब है तेरी बारी तुझको हराने की।।