परिंदे को कब तक पिंजरे में रखोगे
एक न एक दिन तो वो उड़ जायेगा।
ऐसी उड़ान भरेगा के फिर
आसमान उसका घर बन जायेगा।
परिंदे को कब तक पिंजरे में रखोगे
एक न एक दिन तो वो उड़ जायेगा।
पलभर में पंखों से जो, नापे ये सारा जहान
बादलों से बातें करे, और चूमे गगन के गाल।
परिंदों को अपनी जान से ज्यादा, प्यारी अपनी आज़ादी हैं
परिंदों के लिये तो ये आकाश ही, सुनहरे सपनों की वादी है।
परिंदे को कब तक क़ैद में रखोगे
एक न एक दिन तो वो उड़ जायेगा।
ऐसी परवाज़ लेगा के फिर
नील अंबर उसका घर बन जायेगा।
परिंदे को कब तक पिंजरे में रखोगे
एक न एक दिन तो वो उड़ जायेगा।।