सीने में संभालकर रखना, दिल चुराने में माहिर हूँ मैं
नज़रों से जो दिल में घर कर ले, हाँ वही साहिर हूँ मैं।
सफ़र में कई हमसफ़र मिले, अपने अंदर जो छुपे थे
ज़िंदगी के लंबे सफ़र का, बंजारा एक मुसाफ़िर हूँ मैं।
अपनी ही तलाश में उसे, कई बार लाश बनना पड़ा
जब से राह भटकी है रूह, तब से ही मुहाज़िर हूँ मैं।
निगाहों में जब क़ैद करता हूँ, रिहा नहीं होने देता हूँ
अपने मोहब्बत करने के अंदाज़ से मुताहसिर हूँ मैं।
एक जादू ही तो है ये ज़िंदगी, इससे ज्यादा और क्या है
सामने होकर भी ना दिखे जो, हाँ वही ज़ाहिर हूँ मैं।
ख़यालों के पंखों से, पलभर में सदियाँ नाप लेता हूँ
हुक्म कीजिये हुज़ूरे आला, ख़िदमत में हाज़िर हूँ मैं।
खेल चाहे लफ़्ज़ों का हो, या दिलजले इस दिल का
यकीन मानिये इरफ़ान, इन दोनों में माहिर हूँ मैं।।
साहिर – Magician
मुहाज़िर – Refugee
मुताहसिर – Affected
ज़ाहिर – Direct/In front of
ख़िदमत – Service
[12:56 AM, 10/23/2017] +91 77377 13079: