फिर से वहीं ले आयी ज़िन्दगी
जहाँ ना आने की कसम थी खायी।
हालाँकि यह एहसास होने में बहुत वक़्त लगा
हर एक एहसास को खोने में बहुत वक़्त लगा।
एक शाम साहिल से बहुत दूर निकल गया समंदर
लौटा जब तक वो, ढ़ह चुका था उसका रेत का घर।
लहरों से कई दिनों तक नाराज़ रहा वो
गुमसुम सा महीनों बेआवाज़ रहा वो।
कितनी ही कश्तियाँ उसके ऊपर से गुज़र गयी
वो फिर भी ख़ामोश सा एक जगह ठहरा रहा।
आखिरकार एक नदी ने अपना रुख़ मोड़ा
मुश्किल से दिल का रिश्ता जोड़ा।
फिर से वहीं ले आयी ज़िन्दगी
जहाँ ना आने की कसम थी खायी।
हालाँकि यह समझने में बहुत वक़्त लगा
हर एक याद को मिटने में बहुत वक़्त लगा।।
#राॅकशायर