वो छुप-छुपकर तुम्हें देखना मेरा
वो नज़रों के ख़त तुम्हें लिखना मेरा
वो हद से ज्यादा तुम्हें चाहना मेरा
वो तुमसे ज्यादा तुम्हें सोचना मेरा
मुझे ख़बर है बेख़बर मेरे यार की
तुम्हें ख़बर तक नहीं मेरे प्यार की
तुम्हें ख़बर तक नहीं मेरे प्यार की।
वो हर चेहरे में तुमको ही देखना मेरा
वो नज़र आने तक पीछा करना मेरा
वो रब से हमेशा तुमको मांगना मेरा
वो तुमसे ज्यादा तुमको जानना मेरा
मुझे ख़बर है इस क़दर मेरे यार की
तुम्हें ख़बर तक नहीं मेरे प्यार की
तुम्हें ख़बर तक नहीं मेरे प्यार की।
वो कुछ ना कहकर सब कहना मेरा
वो लहरों की तरह साथ बहना मेरा
वो लफ़्ज़ों में तुम्हें ज़िंदा रखना मेरा
वो यादों में तुमको बयां करना मेरा
मुझे ख़बर है हमसफ़र मेरे यार की
तुम्हें ख़बर तक नहीं मेरे प्यार की
तुम्हें ख़बर तक नहीं मेरे प्यार की।
वो ना चाहकर भी तुमसे दूर होना मेरा
दर्द के दरिया में पल-पल डूबना मेरा
वो हद से ज्यादा खुद को सताना मेरा
अपने हाथों से यादों को जलाना मेरा
मुझे ख़बर है बेसबर मेरे संसार की
तुम्हें ख़बर तक नहीं मेरे प्यार की
तुम्हें ख़बर तक नहीं मेरे प्यार की।।