ज़ेहन के पुराने हिस्से में
कई दिनों से एक ख़याल अधूरा पड़ा था।
सोचा इसे आज पूरा कर दूँ
तुम कहो तो इसे तुम्हारे नाम कर दूँ।
इसी बहाने तुम्हारा ज़िक़्र भी हो जायेगा
ज़िक़्र के दरमियाँ कहीं ये दिल खो जायेगा।
याद है तुम्हे !
तुम्हारी यादों से पुराना रिश्ता है मेरा।
एक ऐसा रिश्ता जिसका कोई नाम नहीं
एक ऐसी सुबह जिसकी कोई शाम नहीं।
एक ऐसा शख़्स जिसका कोई मकसद नहीं
एक ऐसा लफ़्ज़ जिसका कोई मतलब नहीं।
एक ऐसी लहर जिसका कोई शोर नहीं
एक ऐसी नज़र जिसका कोई छोर नहीं।
ज़ेहन के पुराने हिस्से में
कई दिनों से एक ख़याल अधूरा पड़ा था।
सोचा इसे आज पूरा कर दूँ
तुम कहो तो इस दिल पे तुम्हारा नाम लिख दूँ।
इसी बहाने तुम्हारा एहसास भी हो जायेगा
एहसास करते-करते कहीं ये दिल खो जायेगा।
याद है तुम्हे !
तुम्हारी बातों में अपना हिस्सा है मेरा।
जो यक़ीन न आये मेरी बात पर
तो खुद से बात करके देख लेना
जवाब मिल जायेगा तुम्हे
और जवाब के साथ-साथ
मेरी साँसों का हिसाब भी मिल जायेगा तुम्हे।
जो दूर जाना चाहो
तो शौक से चले जाना
मोहब्बत का कर्ज़ उतारने
करके खुद से नये बहाने
दिल को फिर आज़्माने
ख़ताएं फिर से दोहराने
यादों को फिर से मिटाने
सीने के दरमियाँ समाने।
जो पास आना चाहो
तो दिल से चले आना
जहां कहीं भी हो तुम
लौटकर चले आना।।