लफ़्ज़ों को हँसते मुस्कुराते ग़मगीन हो आंसू बहाते
किसी ने देखा है कभी
गर ना देखा तो चलो मेरे यार की गली
आओ चलें फिर इरफ़ान की गली।
समंदर से वसीह दिल में लहरों की तरह जज़्बात उठते
उन लहरों से उठते जज़्बातों को] लफ़्ज़ों में तब्दील करते
किसी को देखा है कभी
गर ना देखा तो चलो मेरे यार की गली
आओ चलें फिर इरफ़ान की गली।
रूहानियत की क़लम में स्याही शिद्दत की भरकर
इक कोरे काग़ज़ को अनमोल बनाते
किसी को देखा है कभी
गर ना देखा तो चलो मेरे यार की गली
आओ चलें फिर इरफ़ान की गली।
एक शख़्स में छुपी हज़ार शख्सियतें
एक इंसां को एलियन में तब्दील होते
उम्र गुज़ार खुद में अंदाज़ अलहदा पाते
किसी को देखा है कभी
गर ना देखा तो चलो मेरे यार की गली
आओ चलें फिर इरफ़ान की गली।
गर्दिशों के सियाह अंधेरों में चश्मा-ए-नूर बहाते
हादसों में खुद ही को खुद का हौसला बढ़ाते
हर ग़म की खुशी मनाकर ग़म को कन्फ्यूज करते
किसी को देखा है कभी
गर ना देखा तो चलो मेरे यार की गली
आओ चलें फिर इरफ़ान की गली।।