दोस्ती का दिन कोई, न कोई वार होता है
दोस्तों के साथ तो, हर वार ही शनिवार होता है।
चाहे माइंड की मिस्ट्री हो, या हसरतों की हिस्ट्री
दोस्तों के दरमियाँ होती हैं, कमाल की कैमिस्ट्री।
सेटिंग चाहे मोबाइल की हो, या फिर दिल की
दोस्तों ने तो इन पर, पूरी पीएचडी हासिल की।
हुस्न देखकर ये फँस जाते हैं, रोज उसकी गली तक जाते हैं
दोस्ती के बिना दोस्तों, ये ज़िंदगी के सफ़र में भटक जाते हैं।
यारों दा ठिकाना कोई, न कोई घरबार होता हैं
यारों के साथ तो, हर लम्हा ही यादगार होता हैं।
मुसीबत हो या मोहब्बत, या हो कोई फड्डा
हर थड़ी पे होता हैं, साड्डे यारों दा अड्डा।
घरवाले जब इन्हें डाँटते हैं, बुरा नहीं ये मानते हैं
दोस्त लोग तो हमेशा, दोस्तों में खुशियाँ बाँटते हैं।
ज़िंदगी ने एक रोज जब, मुझसे मेरी खुशियों का राज़ पूछ लिया
मुस्कुराकर मैंने भी, अपने दिल के काग़ज़ पर दोस्ती लिख दिया।।
rockshayar.wordpress.com