जाँ निसार मेरे यार, अन्वार आबशार है तू
गुलबदन गुलफ़ाम, गुलपोश गुलज़ार है तू।
कभी पैर जलते हैं, तो कभी ग़ैर जलते हैं
चिलचिलाती धूप में, मौसम-ए-बहार है तू।
माहरुख़ कहूँ या माहज़बीं, दिलबर कहूँ या दिलनशीं
मुश्क से तामीर हुई, बेनज़ीर निगार है तू।
बेतहाशा चढ़ता ही जाए, असर ये बढ़ता ही जाए
महीनों तक न उतरे जो, ऐसा ख़ुमार है तू।
जब भी मिलने आती हो, रूह भिगा जाती हो
सावन की पहली बारिश सी, ठंडी फुहार है तू।
ये तक़दीर का फैसला है, जो मुझे तू मिला है
अब और क्या कहूँ, मेरी साँसों में शुमार है तू।
बड़ी मुश्किलों के बाद मिले, जिस पर कि दाद मिले
ज़िन्दगी की ग़ज़ल का हर वो अशआर है तू।।
© RockShayar
शब्दावली:-
जाँ निसार – जान लुटाने वाला
अन्वार – प्रकाशवान
आबशार – झरना
गुलबदन – फूलों जैसा शरीर
गुलफ़ाम – फूलों जैसा रंग
गुलपोश – फूलों से ढका हुआ
गुलज़ार – बगीचा
माहरुख़/माहज़बीं – चाँद जैसा चेहरा
मुश्क – कस्तूरी
बेनज़ीर – अद्वितीय
निगार – मूर्ति
अशआर – शेर (बहुवचन), दोहे, छंद