#ObjectOrientedPoems(OOPs)
कभी नहीं सोता है जो, रहता चौबीसों घंटे ऑन
उँगली पर सबको नचाए जो, वो है जी स्मार्टफोन।
एमेजिंग एंड्रॉयड हो या विशिष्ट विंडोज, इन्हीं से तो पहचान है
विदाउट एन ऑपरेटिंग सिस्टम, ये सिस्टम स्टुपिड समान है।
सूचनाएं वो सब अब जेब में रहती हैं, ज़िन्दगी आजकल ऐप में रहती है
फरमाइशों का रेडियो खुद ऑन करके, ये माइक्रोवेव सितम सहती है।
बिन इंटरनेट के कुछ ऐसे तड़पता है, जैसे बिन पानी के मछली
फेसबुक व्हाट्स अप ट्विटर, यही सब तो इसकी मित्र मंडली।
सोशल मीडिया के संगठित द्वार, इसी के ज़रिए खुलते हैं
न्यू जेनरेशन के पाप जहाँ पर, कंफेशन के ज़रिए धुलते हैं।
सेल्फी लेना और सेल्फिश बनना, इसी ने तो सिखाया सब
इस डिजिटल नशे की लत से, खुद को आज़ाद करे हम अब।
टच स्क्रीन के कारण, फिंगर्स की सेंसिटिविटी कम हो जाती है
हाई डेफिनेशन ख़्वाब देखते-देखते, वो नींद कहीं खो जाती है।
चाहे वो अलार्म हो या कि कलाई घड़ी, या हो वो टेलीफोन डायरी
काग़ज़-क़लम बेरोज़गार हुए, लिखी जाती हैं इसी में अब शायरी।
चाहे कुछ भी हो जाए मगर, तकनीक तकनीक ही रहती है
हावी मत होने दो इसे खुद पर, नेचर हमेशा सही कहती है।
कभी नहीं रेस्ट करता वो, बताओ ऐसा है कौन?
फोन से कहीं बढ़कर है जो, वो है जी स्मार्टफोन।।
:-RockShayar