
हालाँकि अँधेरी गली अब भी मुझे बहुत डराती है
लेकिन माँ मुझे आजकल तेरी याद नहीं आती है।
मुद्दत से मैं रो नहीं पाया, किसी का भी हो नहीं पाया
अब तो गोद में सुला ले, सुकूं भरी नींद सो नहीं पाया।
तू तो सब जानती थी, मेरे हर डर को पहचानती थी
फिर डर क्यों मिटाया नहीं, निडर मुझे बनाया नहीं।
शिकायत न करू तो क्या करू, सब मेरा मज़ाक उड़ाते हैं
संगी साथी सब यार दोस्त, मुझे बात-बात पर चिढ़ाते हैं।
जब जाना ही नहीं चाहता था, फिर क्यों दूर भेजा मुझे
मासूमियत को छीनकर, मुझ से ही क्यों दूर भेजा मुझे।
पापा तो उस वक़्त भी ऐसे ही थे, और आज भी ऐसे ही है
और बाक़ी सब लोग, पहले जो भी थे पर अब वैसे नहीं हैं।
माना कि तेरे क़दमों के नीचे जन्नत रहती है
मगर दिल तोड़ने का हक़ तुझ को भी नहीं है।
हालाँकि अँधेरी रात अब भी मुझे बहुत डराती है
लेकिन माँ मुझे आजकल तेरी याद नहीं आती है।।
Mujhe aati hai 😭