1113 ईस्वी में, अजयपाल चौहान ने अजयमेरू बसाया
ज़मीन पर जिसकी सदा, रहता है ग़रीब नवाज़ का साया।
हिन्द के सुल्तान वो, वलियों के सरदार कहलाते है
अजमेर वहीं आते हैं, जिन्हें ख्वाज़ा पिया बुलाते है।
तीर्थराज पुष्कर में, ब्रह्माजी का सुप्रसिद्द मंदिर है
गऊघाट के किनारे पर, यह संस्कृति का शिविर है।
अर्द्ध-चंद्राकार इस झील में, पवित्र पूजा और स्नान होता है
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर, यहाँ पुष्कर मेला भरता है।
अढ़ाई दिन का झोंपड़ा, सूफ़ी रंग में रंगा हुआ है
बीसलदेव और कुतुबुद्दीन, दोनों के दौर का गवाह है।
बारहवीं सदी में आनाजी ने, आनासागर झील खुदवाई
जहाँगीर ने दौलतबाग, व शाहजहाँ ने बारहदरी बनवाई।
इंजीनियर फाॅय के नाम पर ही तो, फाॅयसागर बनाया गया
अकाल राहत के तहत इसमें, बाँडी नदी का पानी लाया गया।
शहर के एकदम बीचोंबीच, सोनी जी की नसियां स्थित है
लाल पत्थरों के इस भव्य भवन में, जैन मंदिर अवस्थित है।
मेरवाड़ा पर्वत पर, गढ़बीठली दुर्ग तारागढ़ निर्मित है
मीरां साहब की दरगाह जहां पर, टीवी टावर स्थित है।
तारागढ़ मार्ग पर, पृथ्वीराज चौहान स्मारक बना हुआ है
नाग पहाड़ पर ही तो, मशहूर लूणी नदी का उद्गम हुआ है।
अकबर ने 1570 ईस्वी में, बनवाया मैगजीन का किला
इसी किले में टाॅमस रो, बादशाह जहाँगीर से था मिला।
राजकीय राजपूताना संग्रहालय, इसी किले में है
अरावली का सबसे कम विस्तार, इसी जिले में है।
समीप स्थित है नारेली तीर्थ, टाॅडगढ़-रावली अभयारण्य
पुष्कर घाटी पंचकुण्ड मृगवन, प्रकृति का अद्भुत लावण्य।
मेयो काॅलेज जीसीए, पाॅलिटेक्निक जैसे संस्थान यहां
एजुकेशन फील्ड में इसने, पाया है बहुत सम्मान सदा।
प्रमुख प्रशासनिक कार्यालय, मुख्यालय एवं बोर्ड यहां पर
आरपीएससी रेवेन्यू और, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यहां पर।
रेलवे स्टेशन के ठीक सामने, एंटीक क्लाॅक टावर है
देश की राजनीति में, अजमेर का अलग ही पावर है।
आर.जे.जीरो.वन. हर वाहन को देता यूनीक पहचान
राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, सिखाए आन बान और शान।
मुर्गीपालन व अंडाउत्पादन में, यह सबसे आगे है
सम्पूर्ण साक्षर होकर इसने, नित नए झंडे गाड़े हैं।
राजस्थान का हृदय, हिन्दोस्तान की शान है अजमेर
भारतीय गंगा जमुनी, तहज़ीब की पहचान है अजमेर।।
© RockShayar Irfan Ali Khan