माँ की मोहब्बत का, बयान करना मुमकिन नहीं
गर साथ है उसकी दुआ, तो फिर कोई ग़म नहीं
ज़िन्दगी की प्रथम शिक्षक, सिखाए हम को जीना
ममता से संवारकर अपनी, बनाए हम को नगीना
घर और ऑफिस, दोनों को बखूबी संभाल रही है
औलाद के मुताबिक माँ अब खुद को ढ़ाल रही है
रिश्तों में आई वो दरारें सब, माँ ही भरती आई है
और बच्चों के कामकाज सारे माँ ही करती आई है
कदमों तले जन्नत है इसके, सौ फीसद सच है ये
जीवन की उन बुराईयों से, बचने का कवच है ये
हर बंदिश को तोड़कर, देश व दुनिया चला रही है
हर रंजिश को भुलाकर वो, नेक राह दिखा रही है
माँ के आँचल की तरह, इस जहां में कोई घर नहीं
गर सिर पर है हाथ उसका, तो फिर कोई डर नहीं
– RockShayar