बहुत कुछ ऐसा है जो बताया न जा सके
अहसास तो है मगर जताया न जा सके
सोच के दायरे में जब भी कोई सवाल आता है
उड़ने को फिर ख़याल अपने पंख फड़फड़ाता है
हाथ खुद-ब-खुद क़लम तक पहुँच जाते हैं
जज़्बात खुद-ब-खुद हम तक पहुँच जाते हैं
हर लफ़्ज़ की अपनी एक अलग ही दुनिया है
जैसे इस दुनिया में हम सबकी एक दुनिया है
कोई जिस्म लिखता है, कोई रूह लिखता है
जो देखना चाहे जितना, हाँ उसे वहीं दिखता है
हर सिक्के के दो पहलू हैं, किसे सच किसे झूठ कहे
जो दिल में है पर ज़ुबां पे नहीं, उसे कहे बिन कैसे रहे
अजनबी अहसास को बताओ क्या नाम दे
ये तो पवन के झोंके हैं, कैसे इन्हें थाम ले
बहुत कुछ ऐसा है जो महसूस न किया जा सके
ख़यालात तो है मगर महफूज़ न किया जा सके ।।
– RockShayar