रंग रंगीलो राजस्थान, रंगीले सब रूप और भेस
मेहमान को हम कहते जहाँ, पधारो नी म्हारे देस
पन्ना-मीरा की धरती यह, बलिदान से मांग भरती है
रणबाँकुरों की जननी यह, वीर रस स्वांग रचती है
मिसरी सी मीठी बोली, प्रेम की पावन परिभाषा
हर चार कोस के बाद जहाँ, बदल जाती हैं भाषा
रेतीले धोरों के दरमियां, ज़िन्दगी मुस्कुराती है
मिट्टी की खुशबू लिए, लोकगीत गुनगुनाती हैं
फौलादी किलों की तरह, मज़बूत हैं इरादे यहाँ
मासूम दिलों की तरह, लोग हैं सीधे सादे यहाँ
सहनशीलता और कर्मठता, मिट्टी में इसकी घुली
त्याग ओज़ वचनबद्धता, विरासत में इसको मिली
इतिहास के पन्नों पर, दर्ज़ हैं जितनी कहानियां
वीरों की वो अमर गाथाएं, शौर्य की निशानियां
राजपूताना की यह आन बान, रखे सदा सबका मान
रण हो चाहे कृषि विज्ञान, बढ़ाई हमेशा हिंद की शान
विकास विद हैरिटेज की, नई डगर पर चल निकला है
बीमारू स्टेट की इमेज से, अब जाकर यह निकला है
सतरंगी जय राजस्थान, अतरंगी अंचल परिवेश
मेहमान को सब कहते जहाँ, पधारो नी म्हारे देस
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राॅकशायर इरफ़ान अली ख़ान
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