Tribute to Kalpana Chawla…
(July 1st,1961-February 1st, 2003)
तुम कभी मर नहीं सकती हो !
तुम तो खुद एक कल्पना हो
अनंत अंतरिक्ष में तैर रही हो तब से
आँखें खोली जिस रोज तुमने जब से
पैदाइश हुई एक जुलाई 1961 को, करनाल में
मन में दृढ संकल्प लिए, पाना था जिसे हर हाल में
हिंद को ही नहीं, समूचे विश्व को है नाज़ तुम पर
खो गए उस कोलंबिया को, गर्व है आज तुम पर
सात थे वो एस्ट्रोनॉट, हो जैसे कोई सात सितारें
बन गए हमेशा के लिए, दुनिया की आँखों के तारें
टेक्सास के ऊपर आज भी एसटीएस मंडरा रहा है
तुम्हारी बहादुरी के किस्से वो, सबको सुना रहा है
विदेश जाकर भी, नहीं भूली तुम अपनी संस्कृति
नासा ने आज भी, सहेज रखी है तुम्हारी संस्मृति
तुम कभी मर नहीं सकती हो !
तुम तो स्वयं एक कल्पना हो
इस अंतरिक्ष में बह रही हो जब से
आँखें मूंदी जिस रोज तुमने तब से।।
-राॅकशायर इरफ़ान अली ख़ान
rockshayar.wordpress.com
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