दिलरूबा दिलदार, दिलबर दिलनशीं
लफ़्ज़ है कोरे, ना मेरा कोई हमनशीं
अजनबी गलियों का, अनजान मुसाफ़िर
तक़दीर का मारा, जैसे कोई काफ़िर
सीने में उठता है, दर्द हर रोज ही
दर्द को समझे, हाँ केवल दर्दसोज़ ही
तन्हाई के साये, पास मुझे बुलाये
जलाने के लिए यूँ, पास मुझे सुलाये
टूटे हुए दिल की मैंने आह सुनी है
सुनकर दिल की मैंने राह चुनी है
हमनवां हमसफ़र, हमदम हमनशीं
लफ़्ज़ है कोरे, ना मेरा कोई जानशीं ।।
#RockShayar