आँखों ही आँखों में आँखों ने आँखों की वो आँखें पढ़ ली
बातों ही बातों में दिल ने दिल की अनकही बातें पढ़ ली
रूह से रूह का जब तआरूफ़ हुआ यूँ हौले हौले
सीने में उठ रहे समंदर ने मचलती हुई सब साँसें पढ़ ली
ये पहली नज़र ही है अक्सर चैन लूट जाया करती है
नज़र ही नज़र में नज़र ने नज़र की बेनज़ीर बातें पढ़ ली
कमाल बख्शा है खुदा ने आँखों को कुछ इस क़दर
दिल के दरमियानी हिस्से पर लिखी मुलाकातें पढ़ ली
ये निगाहों की ज़ुबाँ है फ़क़त दिल्लगी ना कोई ‘इरफ़ान’
नींद के साये में रात भर जगी, अधजगी वो रातें पढ़ ली ।।