जाने किसी अपने की याद दिलाता है चेहरा तेरा
मुझको हसीं सपने सा पास बुलाता है चेहरा तेरा
बिन देखे तुझको, अब चैन कहाँ, क़रार कहाँ ?
मुझको मेरा माज़ी याद दिलाता है चेहरा तेरा
सोचू जब भी तुम्हें, नींद की भी नींद उड़ जाये
जागते सोते ख़्वाब नये दिखलाता है चेहरा तेरा
दर्द के आगोश में, मुस्कुराना तक भूल बैठे
चेहरे पर मुस्कुराहटें हज़ार लाता है चेहरा तेरा
तारीफ़ ना कोई ‘इरफ़ान’, इश्क़ है यूँही तुमसे
ज़िंदगी मुझको जीना सिखलाता है चेहरा तेरा ।।