डगर कोई दिखलाओ या रब
हुनर कोई सिखलाओ या रब
भटक रहा हूँ वीरानो में
शज़र कोई दिखलाओ या रब
अधकचरे है क़रम हमारे
भरम सभी झुठलाओ या रब
बेघर सा है मन का मक़ां
कौन हूँ मैं बतलाओ या रब
सफ़र तन्हा परेशां हूँ मैं
मुझसे ना झुंझलाओ या रब
ज़िंदा नही है ज़िंदगी ये
जीना मुझे सिखलाओ या रब
लापता हूँ कब से ‘इरफ़ान’
पता मुझको बतलाओ या रब ।।