बेमानी रिश्तों के बदलते मानी मत पूछो
मोहब्बत क्यूँ है तुमसे ये कहानी मत पूछो
तफ़्तीश कर लो चाहे जिस्म से रूह तक
फ़क़त मुझमें मेरे होने की निशानी मत पूछो
लहरों के संग संग लहराओ तुम भी कभी
हाँ लहरों से खुद लहरों की रवानी मत पूछो
दर्द उठता है सीने में तब कैसा लगता है ?
महसूस कर लो इसे तुम ज़बानी मत पूछो
खुली किताब हूँ मैं जो चाहे पन्ना पलट लो
हाँ इक मुझसे मेरी गुज़री कहानी मत पूछो ।।
->-> RockShayar I. A. Khan <-<-