हो के भी तू नहीं है शायद
खो के भी तू यहीं है शायद
दिन भी तू ही रात भी तू ही
मुझमें हर जज़्बात भी तू ही
लब पे तू ही शब में तू ही
जो भी है हाँ सब में तू ही
जुनूं में तू ही सुकूं में तू ही
सज़्दे और रूकूअ में तू ही
चाँद में तू ही ख़्वाब में तू ही
जलते हुए आफ़ताब में तू ही
सितारों में तू ही बहारो में तू ही
तक़दीर के सब नज़ारो में तू ही
मौत में तू ही ज़िंदगी में तू ही
बंदे की असल बंदगी में तू ही
बशर में तू ही शज़र में तू ही
कायनात की हर नज़र में तू ही
हो के भी तू नहीं है शायद
खो के भी तू यहीं है शायद ।।
#RockShayar