“मर जाऊँ गर कभी तो मेरे लिए रोना मत” मर जाऊँ गर कभी तो मेरे लिए रोना मत फ़क़त वोह मेरे चंद अशआर गुनगुना लेना ।। फ़क़त – केवल अशआर – दोहे Share this:TwitterFacebookLike this:Like Loading... Related