गुलमोहर सी घनी गुज़ारिश है तू
साँसों की सतरंगी सिफ़ारिश है तू
बता के बिन तेरे कैसे जिया जाए
नसीब की नायाब निगारिश है तू
ज़िंदा होकर भी ना रही ये ज़िंदगी
बंजर हूँ मैं और मेरी बारिश है तू
मुहब्बत ना सही तो ना ‘इरफ़ान’
फ़क़त लम्हों की गुज़ारिश है तू ।।
#RockShayar Irfan Ali Khan
निगारिश – लिखित वर्णन