“मक़्तूल है यहाँ इक अरसे से ज़िंदगी” मक़्तूल है यहाँ इक अरसे से ज़िंदगी दावा करती है हर रोज ज़िंदा होने का ।। मक़्तूल – मृत Share this:TwitterFacebookLike this:Like Loading... Related