तेरा चेहरा रहता है, निगाहों में मेरी
रात ढलते ढलते, ख्वाबों में उतर आता है
सही गलत के पार, मिले थे हम जहाँ
वो पता अब इन, आँखों में नज़र आता है
तलाशता रहता हूँ, महकती खुशबू तेरी
लिखूं जो नज़्म तुझपे, एहसास उभर आता है
धुंधले से लगते है, गुजरे हुए सब लम्हे
सुनहरा वो दौर, कुछ यादो में ठहर जाता है
महफ़िल में अक्सर, यूँ खामोश रहता हूँ
दिल को मेरे अब, ख्यालों का शहर भाता है
सूफ़ी शायर बसता है, ख़लाओं में मेरी
रूह का उठता धुँआ, ग़ज़ल में नज़र आता है