छलकते हुए तेरे अश्क़ों को, यूँ पीता चला जाऊ
तेरे लिए एक ज़िन्दगी और मैं, जीता चला जाऊ
मेरी हर इक सांस पर, नाम लिखा है सिर्फ तेरा
तेरे सारे ज़ख्मो को, बस यूँही सिलता चला जाऊ
दुनिया के रस्मो रिवाज़ की, परवाह नहीं है मुझे
तेरे लिए ही सारी हदें, बस मैं तोड़ता चला जाऊ
तुम साथ हो गर तो, हर मुश्किल आसान लगे
तेरे लिए ही खुशिया, बस मैं जोड़ता चला जाऊ
इत्तेफाक नहीं कोई, खुदा की मर्ज़ी है मुहब्बत
तेरे लिए ही हर सितम, बस मैं सहता चला जाऊ