मन नही लगता अब
चमकती इस दुनिया में
कहा है तू ज़िन्दगी
ले चल अपने जहां में
मिले इक पहचान मुझे भी
खो गयी है जो यहाँ
फरेबी दिखावो से नही
दिल से मिले हर खुशी
खोखले रिवाज़ो से मुक्त
एक तहजीब हो नई
किसी कि आज़ादी का यूं
घोंटे ना फिर कोई गला
मर्ज़ी से जीने कि
सबको मिले आज़ादी
ना हो कोई बंधन
ना भड़कती रंजिशे
चैन-ओ-सुकूं हो हर तरफ
मुहब्बत कि बारिश में
भीग जाए हर इक रूह
जो तड़पती रहती है
सच्चे इश्क़ कि तलाश में
दिल नहीं लगता अब
सुनहरे मायाजाल में
कहा है तू ज़िन्दगी
ले चल अपने जहां में