कितनी हैरत से, यूं मुझे वो देखता है
यकीन नहीं शायद, उसे मेरे होने का
झुकती आँखों में, छुपे है कई फ़साने
खौफ नहीं शायद, उन्हें अब खोने का
कितनी हैरत से, यूं मुझे वो देखता है
यकीन नहीं शायद, उसे मेरे होने का
झुकती आँखों में, छुपे है कई फ़साने
खौफ नहीं शायद, उन्हें अब खोने का