आँखों में चमक, चेहरे पे दमक
सबसे ज़ुदा हो, पहचान तेरी
इरादो के खौलते, उबाल से
पिघला दे, हर दर्द तू अपना
ना रहे, कोई जख्म बाकी
ना अब कोई बन्धन वहां
मिटा दे, सब उलझनो को
फौलाद सा है, तेरा वुजूद
बारूद बना, उखङती सांसो को
तुझ में ही बसता है, तेरा खुदा
कुबूल कर इसे, ना हो निराश तू
अभी तो बहुत आगे जाना है
राहें हो चाहे, कितनी भी मुश्किल
सफर को तू, हमसफर बना ले
लफ्ज़ो कि यारीयां, दिल में बसा
ख्वाबो का जहां, फिर से बना
खुदको अब तू, खुदसे मिलवा
बनेगी तब यूं, मुकम्मल पहचान