मिट्टी की खुशबू, सौन्धी लगती है जहां
बचपन कि शरारत भी, यूं बसती है वहां
कितना प्यारा लगता है, रेत का घरौंदा
खिलौनो कि दुनिया में, साथी वो सलोना
खेतो में बिछी रहती है, हरे रंग कि चादर
खिलते है फूल जहां, कुछ नीले कुछ पीले
परिन्दो का बसेरा है, पीपल के दरख्त पर
ठंडी छांव के तले, नीले आसमां का साया
एक अलग ही मज़ा है, मेरे घर के आंगन में
कुछ पल में आज जहां, सदियां जी लेता हूं
लफ्ज़ खुश हो जाते है, जूनून बसता है जहां
रूह को दिलकश सूकूं, मिलता है अब यहां