निगाहों के हसीं कारवां, हर तरफ बिखरे हुए
मुहब्बत कि तहरीर में, ख्वाब बस ठहरे हुए
ज़रा आहिस्ता से उठाना, सुरमई आँखे तुम
मख़मली ख्य़ाल कुछ, पलकों पर सहमे हुए
राहत मुझे मिलती, गहरी नीली ख़ामोशी में
मन कि बंद गिरहों में, शब्द सब लिपटे हुए
दीदार कि तलब में, मन सदा तड़पता रहा
एहसास के चंद पन्ने, नज़्म में सिमटे हुए
ग़ज़ल कि इनायत, मुझ पर इस तरह हुई
लफ्ज़ो के समंदर में, कश्ती बन तैरते गए
निगाहों के हसीं कारवां, हर तरफ बिखरे हुए
मुहब्बत कि तहरीर में, ख्वाब बस ठहरे हुए